Kehta Hai Sindoor Tera Kavita Krishnamurthy Song Download


Play This Song
Song Lyrics
धूल तेरे चरणों की छू कर
अपनी माँग मैं भरती हूँ
नारी नहीं तू देवी है
मैं तेरी पूजा करती हूँ
कहता है सिंदूर तेरा
तेरी बिंदिया कहती है
कहता है सिंदूर तेरा
तेरी बिंदिया कहती है
लाखों में कोई एक सुहागन
लाखों में कोई एक सुहागन
सदा सुहागन रहती है
कहता है सिंदूर तेरा
तेरी बिंदिया कहती है
लाखों में कोई एक सुहागन
सदा सुहागन रहती है
कहता है सिंदूर तेरा
पति की सेवा की ऐसे
कि पति को परमेश्वर माना
पति की सेवा की ऐसे
कि पति को परमेश्वर माना
बेटी और बहु में तूने कोई अंतर ना जाना
तेरी सूरत देख के हमने
तो भगवान को पहचाना
तू सबको सुख देती है
तू हम सब के दुख सहती है
लाखों में कोई एक सुहागन
लाखों में कोई एक सुहागन
सदा सुहागन रहती है
कहता है सिंदूर तेरा
तेरी बिंदिया कहती है
लाखों में कोई एक सुहागन
सदा सुहागन रहती है
कहता है सिंदूर तेरा
तूने दर्पण में मुख देखा
तो दर्पण ये कहता है
तूने दर्पण में मुख देखा
तो दर्पण ये कहता है
तू स्वयं दर्पण है जिसे
हर कोई देखता रहता है
तेरे होंठों से मुसकानों का यूँ झरना बहता है
शंकर जी की जटा से जैसे
गंगा मैया बहती है
लाखों में कोई एक सुहागन
लाखों में कोई एक सुहागन
सदा सुहागन रहती है
कहता है सिंदूर तेरा
तेरी बिंदिया कहती है
लाखों में कोई एक सुहागन
सदा सुहागन रहती है
कहता है सिंदूर तेरा
तेरी बिंदिया कहती है